रांची रेलवे कॉलोनी में पली-बढ़ी किरण ने दृढ़ इच्छाशक्ति की अनोखी दास्तां पेश करते हुए बिहार पीएससीजे की परीक्षा में परचम लहराया है। रेलवे कॉलोनी निवासी बचपन से न्यायाधीश बनने की सोच रखने वाली किरण के माता-पिता ने इसी बीच उसकी शादी कर दी। बावजूद अपने जज्बे को कमजोर नहीं होने दिया और सपने को साकार करने के लिए वह दिन-रात परिश्रम करती रही और अंततः लक्ष्य को हासिल किया। उसने न्यायिक सेवा में 56वां रैंक हासिल कर अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन चुकी है।
किरण ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने पिता श्री सिद्ध नाथ ओझा को दिया | श्री ओझा रेलवे के रिटायर्ड टी.टी. हैं और उन्होंने कभी भी अपनी बेटियों को बेटों से कम नहीं समझा है | उनकी बेटी किरण ओझा ने पीएससीजे में 56वाँ रैंक हासिल कर रांची जिले का मान बढ़ाया है। किरण की प्रारंभिक शिक्षा डी.ए.भी. श्यामली राची से हुई। उसके बाद वह दिल्ली स्थित मिरांडा हाउस से 2005 में ग्रेजुएशन पूरा किया और 2005 से 08 तक एल एल बी व 2011 से 14 में एल एल एम की परीक्षा उत्तीर्ण किया। इसके बाद नेट परीक्षा क्वालीफाई की,नेट में बेहतर रैंकिंग होने के कारण किरण को जे. आर. एफ. अवार्ड से नवाजा गया। पिछले बर्ष किरण का झारखंड पुलिस सेवा 2016 में डी एस पी रैंक पर चयन हुआ था लेकिन न्यायिक सेवा के प्रति रुझान होने के कारण उसने डीएसपी की ओर रुख नहीं किया। इतना ही नहीं उसने भारतीय स्पर्द्धा आयोग में रिसर्च स्कॉलर के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया है | खास बात यह है कि पिछले साल किरण की शादी हो गई थी, उसका एक डेढ़ माह का बेटा भी है। वाबजूद उसने अपनी तैयारी निरंतर जारी रखा। किरण ने बताया कि एक माहिनें का बेटा घर पर छोड़ कर पटना 17 अक्टूबर को इन्टरव्यू देने गई थी। जिसमें 56 वाँ रैंक हासिल हुआ। आगे बताया कि विधि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अलका चावला की देख-रेख में शोध कर रही हूं। किरण ने कहा कि लड़कियों को जरुर अच्छी शिक्षा देना चाहिए क्योंकि बेटियों का दो घर होता है।अगर वह शिक्षित होगी तो दोनों घरों में शिक्षा का प्रकाश फैलेगा। जिसको भी अच्छी शिक्षा मिलेगी वह जरूर आगे जायेगा। बताया कि अगर पढने के प्रति दृढ़ इच्छाशक्ति मजबूत हो तो शादी व बच्चों के वजह से कैरियर प्रभावित नहीं होता है। सच्चे मन से लगन के साथ मेहनत की जाय तो सफलता जरूर कदम चूमेगी।