रांची : भारतीय रेल 31 मार्च 2018 तक सारा कबाड़ बेचकर शून्य स्क्रैप के लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा| 31 जनवरी 2018 तक के संकलित आंकड़ों के मुताबिक़ फिलहाल देश के विभिन्न राज्यों में रेलवे के विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालयों के अंतर्गत 1,06,423 मीट्रिक टन लोहा स्क्रैप के रूप में उपलब्ध है| सभी क्षेत्रीय रेलों और उत्पादन इकाइयों को सभी चिन्हित स्क्रैप की बिक्री करने और 31 मार्च, 2018 तक शून्य स्क्रैप शेष का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कहा गया है। झारखण्ड से राज्यसभा सांसद श्री महेश पोद्दार के एक प्रश्न के उत्तर में रेल राज्यमंत्री श्री राजेन गोहांई ने शुक्रवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी|
रेल राज्यमंत्री द्वारा उपलब्ध कराई गयी जानकारी के मुताबिक़ झारखण्ड में दक्षिण पूर्व रेलवे के अंतर्गत 31 जनवरी 2018 तक 52 मीट्रिक टन लोहा स्क्रैप के रूप में उपलब्ध है| इसके अलावा 18 नकारा माल डिब्बे, सवारी डिब्बे और रेल इंजन भी स्क्रैप के तौर पर उपलब्ध हैं| झारखण्ड में दक्षिण पूर्व रेलवे के अंतर्गत भारतीय रेलवे ने स्क्रैप बेचकर वर्ष 14 – 15 में 45 करोड़, 15 – 16 में 34 करोड़ और 16 – 17 में 33 करोड़ रुपये हासिल किये हैं|
इसी प्रकार, झारखण्ड में पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत 31 जनवरी 2018 तक के आंकड़ों के अनुसार 200 मीट्रिक टन लोहा स्क्रैप के रूप में उपलब्ध है| झारखण्ड के अंतर्गत पूर्व मध्य रेलवे ने स्क्रैप बेचकर वर्ष 14 – 15 में 61 करोड़, वर्ष 15 – 16 में 38 करोड़ एवं 16 – 17 में 18 करोड़ रूपये हासिल किये हैं|
रेल राज्यमंत्री श्री राजेन गोहांई ने बताया कि अनुपयोगी/स्क्रैप रेलवे सामग्री का सृजन और बिक्री एक सतत् प्रक्रिया है| इसकी क्षेत्रीय रेलों में और रेलवे बोर्ड में उच्च स्तर पर निगरानी की जाती है। रेल प्रशासन स्क्रैप सामग्री जुटाने और ई-निलामी के जरिए बिक्री करने के लिए नियमित और हर संभव प्रयास करता है।