झारखण्ड न्यायिक अकादमी में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय रांची और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय बैंगलोर द्वारा आयोजित तीन दिवसीय फैकल्टी ओरिएंटेशन प्रोग्राम का शुभारम्भ।
झारखण्ड उच्च न्यायलय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.एन पटेल, लॉ विवि के प्रभारी कुलपति गौतम कुमार चौधरी, कर्णाटक विश्वविद्यालय के भूतपूर्व डीन प्रो (डॉ) एस.एस विश्वेश्वरैया, नेशनल लॉ विवि बैंगलोर के प्रोफेसर ऑफ़ लॉ प्रो (डॉ) वि. विजयकुमार और छोटानागपुर लॉ कॉलेज रांची के प्रिंसिपल प्रो (डॉ) पंकज कुमार चतुर्वेदी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
रांची: शिक्षण संस्थाओं की पहचान वहां के शिक्षकों से होती है, छात्र-छात्राएं अपने पढाई को प्राथमिकता देते है, उनके इस प्राथमिकता को समझकर अपने दायित्व को निभाना एक शिक्षक का कर्तव्य होना चाहिए उक्त बाते झारखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.एन पटेल ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और नेशनल लॉ स्कूल ऑफ़ इंडियन यूनिवर्सिटी, बैंगलोर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय फैकल्टी ओरिएंटेशन प्रोग्राम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा की शिक्षक होना आसान नहीं है, खसकर एक लॉ का शिक्षक होना, क्योंकि कानून स्थिर नहीं है, हर दिन इनमे बदलाव होती है और नया होते आया है, इसलिए विधि के शिक्षा में एक शिक्षक को अपडेट रहने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा की पढ़ाना दुबारा पढ़ने जैसा है, पढ़ने और पढ़ाने जैसा मज़ा अन्य किसी कार्यों में नहीं है, टैक्सेशन लॉ बात करते हुए उन्होंने चिंता जताया की भारत में टैक्सेशन लॉ के लिए वकीलों की भारी कमी है, शिक्षकों को टैक्सेशन लॉ के लिए छात्रों को तैयार करने की जरुरत है, इस क्षेत्र में कोचिंग की कमी महसूस की जा रही है। अंत में उन्होंने कहा की शिक्षक छात्रों के प्रति अपना व्यव्हार कुशल रखे, उनके दिल में अपने लिए जगह बनाएं, खुद भी पढ़े और अच्छे वकताओं और प्रोफेसर को सुने उनसे सीखे, चारों ओर से ज्ञान को इकट्ठा करे और राष्ट्रीय विधि विवि को आगे ले जाने के लिए अपनी भागीदारी सुनिश्चित करे। कर्णाटक विश्वविद्यालय के भूतपूर्व डीन प्रो (डॉ) एस.एस विश्वेश्वरैया ने कहा की शिक्षक अपने विचार, कर्म और अपने आचरण में छात्रों का हित देखें, उन्हें छात्रों को अपना उत्कृष्ट देने का प्रयास सदैव करना चाहिए,शिक्षक को चौबीस घंटे अपने छात्रों के लिए तत्पर रहने की आवश्यकता है। नेशनल लॉ विवि बैंगलोर के प्रोफेसर ऑफ़ लॉ प्रो (डॉ) वि. विजयकुमार ने शिक्षकों से कहा की शिक्षक तब तक सीखता है जब तक उसकी सांसे चलती है, और यही होना भी चाहिए। विधि शिक्षा पर बात करते हुए उन्होंने कहा की शिक्षकों को अपना उत्कृष्ट देने का प्रयास करना चाहिए, जब लॉ के शिक्षक अच्छे होंगे, तभी लॉ के क्षेत्र में अच्छे छात्र आएंगे, और लॉ के छात्र अच्छे होंगे तो न्यायतंत्र भी मजबूत होता जाएगा। लॉ विवि के प्रभारी कुलपति गौतम कुमार चौधरी ने लॉ विवि के नवनियुक्त शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा की नए लोग नए सोच लेकर आते है, नवनियुक्त शिक्षकों में अधिकांश युवा है, और आपकी युवाशक्ति से हम विश्वविद्यालय को एक नए आयाम की ओर ले जाने का समर्थ रखते है, कोशिश यही होना चाहिए और हमारा प्रयास भी यही होगा की आने वाले दिनों में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय रांची को हम सिखर पर ले जाए। शिक्षा का क्षेत्र असीमित है, हमें हर दिन सिखने और सिखाने की सोच लेकर आगे बढ़ना होगा। श्री चौधरी ने लॉ विश्वविद्यालय रांची के कुलाधिपति सह झारखण्ड उच्च न्यायलय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.एन पटेल और कुलाधिपति द्वारा मनोनीत न्यायाधीश न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह का आभार प्रकट करते हुए कहा की माननीय न्यायाधीशों के मार्गदर्शन और निर्देशन में आज लॉ विश्वविद्यालय रांची हर दिन प्रगति के पथ पर अग्रसर है और सकारात्मक बदलाव देखा जा सकता है।
आज हुए चार सेशन:
इक्कीसवीं सदी में विधि शिक्षण में चुनौतियाँ : प्रो (डॉ) वि. विजयकुमार के द्वारा
शैक्षणिक वातावरण का निर्माण : प्रो (डॉ) वि. विजयकुमार और प्रो (डॉ) एस.एस विश्वेश्वरैया द्वारा
पाठ्यक्रम रुपरेखा, पढ़ाने की योजना और पठन सामग्री निर्माण : प्रो (डॉ) वि. विजयकुमार के द्वारा
टीचिंग एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ : प्रो (डॉ) एस.एस विश्वेश्वरैया और परमजीत एस जायसवाल द्वारा