All round development is necessary for the development of the State and the Country.Just the way,development programmes were prepared for the towns and cities,they should be conceived for the villages and hilly areas.
This was observed by Jharkhand Chief Minister Hemant Soren while addressing a two day workshop on the Forest Rights Act in Naxalite infested areas at Holiday Home hotel in Ranchi today.
A press release issued by public relations department in Hindi said as follows:
सर्वांगीण विकास के साथ ही राज्य एवं देश की प्रगति सम्भव है। विकास की योजनाएं जिस तरह शहरों के लिए बनार्इ जाती है, उसी तरह ग्रामीण एवं पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए भी बननी चाहिए। आज जिस प्रकार देश तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है उसी तेजी से जंगलों एवं आदिवासियों का विनाश हो रहा है। यह चिन्ता का विषय है। उनके विकास हेतु विचार होती रही है, योजनाएं बनती रही है परन्तु अभी तक हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त नही कर सके हैं। उनके अधिकारों को उन तक सही मायने में पहुँचा कर ही उन्हें विकास के पथ पर लाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने उपरोक्त बातें आज स्थानीय हालीडे होम में नक्सल प्रभावित (स्मजिूपदह मगजतमउपेउ) क्षेत्रों में वन अधिकार अधिनियम के क्रिर्यान्वयन विषय पर दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला के उदघाटन के उपरांत सभा को सम्बोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि समस्या का तत्काल राहत ही नहीं बलिक उसके समाधान के लिए तत्पर रहने की आवश्यकता है। आज वन्य जीवन अस्त व्यस्त है, जिसके परिणाम है कि जंगली जानवर गाँव एवं शहर की ओर आ रहे हैं। यह स्पष्ट है कि जंगलों की सिथति ठीक नहीं है। प्राÑतिक व्यवस्था नष्ट हो गर्इ है, उनके स्थान पर कंक्रीट के जंगल अवश्य बन गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय समुदाय का जीवन प्रÑति से जुड़ा हुआ है। प्राचीन काल से उन्होंने पर्यावरण को सीने से लगा जंगलों का बचाए रखा था। वन लघु उपज से उनका अटूट संबंध है, परन्तु आज इस व्यवस्था को बचाए रखने हेतु आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है। आज साल, सखुआ, महुआ, बेर जैसे पेड़ कम होते जा रहे हैं। यह सोंचनीय विषय है कि हम किस दिशा में जा रहें हैं। प्राÑतिक व्यवस्था से छेड़-छाड़ के परिणाम विपरीत ही आते हैं, हम सभी को प्राÑतिक असंतुलन का प्रभाव झेलना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के तहत बनाए गए कानून को सही तरीके से धरातल पर उतारने की आवश्यकता है, साथ ही व्यवहारिक रूप से कानून में सुधार की आवश्यकता पर भी विचार विमर्श होने चाहिए। राज्य में 29-30 प्रतिशत वन क्षेत्र है, और वह भी खनिज से परिपूर्ण है। इसे सौभाग्य के साथ ही साथ दुर्भाग्य भी कहा जा सकता है। खनिज उत्खनन के दौरान स्थानीय लोगों को अनेक कठिनार्इयों का सामना करना पड़ता है। ग्लोबलार्इजेशन की इस दौर में नियम तो बनते हैं परन्तु उसके परिणाम को भी सोचना होगा। सामाजिक संरचना एवं व्यवस्था को आहत कर विकास नही प्राप्त किया जा सकता। इस सेमिनार में विचार विमर्श के उपरांत बेहतर निष्कर्ष की अपेक्षा है, और राज्य सरकार उसका फायदा उठाना चाहेगी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री आर0एस0शर्मा ने कहा कि जब तक आम लोगों को विकास से नहीं जोड़ा जा सकेगा तब तक विकास बेमानी है। जनजातीय समुदाय को योजनाओं का हिस्सा बना कर, अधिकार की शक्ल दें तब ही योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन हो सकेगा। अधिकारों का निर्धारण एवं उसका क्रियान्वयन दो अलग चीजें हैं। समाजिक महत्व के कानून जिसका उíेश्य आम आदमी का विकास है, उसके क्रियान्वयन हेतु उसे अधिकार का स्वरूप देना होगा। जंगल में रहने वाले लोगों को विकास से कैसे जोड़ें इस हेतु अधिकारियों के दृषिटकोण में परिवर्तन की आवश्यकता है। इस सेमिनार के आयोजन का लाभ हमारे उपायुक्त एवं जिला कल्याण पदाधिकारियों को अवश्य मिलेगा। वह समझ सकेंगे कि कानून को किस प्रकार बेहतर तरीके से क्रियानिवत किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि जहां तक संस्थागत व्यवस्था की बात है, छोटानागपुर टिनेंसी एक्ट के तहत वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों के अधिकार का वर्णन है। खतियान में नाम पंजीÑत होने का तभी महत्व है जब लोगों के पास उससे संबंधित कागज सुलभ हो। इसमें र्इ0-गर्वेनेंस की महत्वपूर्ण भूमिका सुनिशिचत है। र्इ0-गर्वेनेंस एवं सेवा प्रदाय के माध्यम से कोर्इ भी व्यकित अपने खतियान से संबंधित पर्चा कहीं से भी ले सकेगा। लोगों को अपने अधिकार का एहसास होगा। अधिकारियों के साथ ही साथ निचले स्तर के कर्मियों का भी सहयोग आवश्यक है। अधिकारियों से अपेक्षा है कि इस महत्वपूर्ण कानून को पूरी तन्मयता से लागू करें ताकि लोग महसूस कर सकें कि तंत्र अपना है। समन्वय बनाकर कार्य करने पर ही सफलता सम्भव है। अधिकारों का आवंटन नहीं बलिक खुशहाली बढ़ाना हमारा उíेश्य है।
समारोह को सचिव जन जातीय कल्याण भारत सरकार श्रीमती विभा पुरी दास, सदस्य राष्ट्रीय सलाहकार परिषद डा0 एन0सी0सक्सेना ने भी सम्बोधित किया। स्वागत भाषण सचिव कल्याण विभाग झारखण्ड सरकार श्री राजीव अरूण एक्का एवं धन्यवाद ज्ञापन आदिवासी कल्याण मंत्रालय भारत सरकार डा0 साधना राउत ने दिया। समारोह में झारखण्ड के जिलों के उपायुक्त एवं जिला कल्याण पदाधिकारियों के अतिरिक्त छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा, पशिचम बंगाल, आंध्रप्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र के प्रधान सचिव कल्याण एवं वन विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया।