मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुण्डा ने कहा कि समाज के सशकितकरण में भाषाओं की महती भूमिका हैं, इसलिए भाषिक संस्कृति की समृद्धि हेतु न केवल स्थानीय भाषाओं का संरक्षण संवद्र्धन बलिक साहित्य को भी समृद्ध किए जाने के प्रति हमें प्रयासरत रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषाओं की उन्नति एवं समृद्धि के प्रति राज्य सरकार गंभीर हैं प्राथमिक शिक्षकों की नियुä हिेतु आयोजित होने वाली पात्रता परीक्षा में भी स्थानीय भाषा की जानकारी को अनिवार्य रखा गया हैं मुख्यमंत्री आज अपने आवासीय कार्यालय में राँची की महापौर श्रीमती रमा खलखो एवं राँची विश्वविधालय जनजातीय भाषा विभाग के डा0 हरि उराँव से वात्र्ता कर रहे थे। मेयर, श्रीमती रमा खलखो एवं डा0 हरि उराँव आगामी दिसम्बर माह में आयोजित होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय कुडु़ख भाषा सम्मेलन हेतु आमंत्रित करने आये थे।
इस शिष्टाचार मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री श्री अजर्ुन मुण्डा ने कहा कि भाषाओं की समृद्धि और भाषिक संस्कृति के विस्तार को रोजगार के अवसरों के दृषिटकोण से भी समझा जाना चाहिए। परंपरागत भाषा-संस्कृति के संरक्षण संवद्र्धन के साथ रोजगार मूलक ज्ञान की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपनी आने वाली पीढि़यों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए तकनीकी शिक्षा के अवसर भी विकसित करने होंगे साथ ही स्थानीय भाषाओं एवं संस्कृति पर निरंतर शोधपरक विश्लेषण को जारी रखते हुए निरंतर साहित्य-सृजन को बढ़ावा देना है।
उन्होंने आगामी 15-16 दिसम्बर, 2012 को ”प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय कुडुख भाषा सम्मेलन के आयोजन हेतु शुभकामनाएँ देते हुए आशा की कि कुडुख लिटररी सोसायटी के तत्वावधान में इस आयोजन के दौरान भाषा एवं समाज निर्माण के विभिन्न पहलूओं पर गंभीर चर्चा होगी।