राष्ट्रभाषा हिन्दी को अपनाना, इसे प्रयोग में लाना राष्ट्रभाषा के प्रति सम्मान नही है बलिक यह स्वंय के स्वाभिमान का परिचायक है। हिन्दी ने आज पूरे देश को जोड़ रखा है और यह कहना अतिशयोä निही होगा कि बीते हुये कल और वर्तमान में हिन्दी के प्रयोग में बहुत बड़ा फर्क आ चुका है। हिन्दी के प्रयोग में जो झिझक थी, वह खत्म हो चुका है और हिन्दी सबों के दिल पर अपना अधिकार बनाने में सफलता हासिल कर चुकी है – उक्त विचार श्री आर0 मिश्र, सी0एम0डी0, एच.र्इ.सी. ने प्रकट किया।
राजभाषा पखवाड़ा के समापन के उपलक्ष्य में मुख्यालय में आज आयोजित कार्यक्रम में श्री आर0 मिश्र के अलावा श्री कुशल साहा, निदेशक (उत्पादन), श्री शुभ्रा बनर्जी, निदेशक (कार्मिक), श्री रवीन्द्र वर्मा, मुख्य सतर्कता अधिकारी के अलावा बड़ी संख्या में अधिकारीकर्मचारीगण उपसिथत थे। कार्यक्रम का आरंभ श्री अनुग्रह झा के स्वागत भाषण से हुआ। पखवाड़ा के दौरान, आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया (सूची संलग्न)। धन्यवाद ज्ञापन, श्री अविनाश चंद्र देवघरिया ने किया। कार्यक्रम का संचालन श्री मुरारी विश्वकर्मा, राजभाषा अधिकारी द्वारा किया गया। (पुरस्कृत प्रतिभागियों की सूची संलग्न)