मुख्यमंत्री जीवन आशा योजना आरम्भ करने का आदेश दिया है

Press Release

arjun munda

मुख्यमंत्री श्री अर्जुन  मुण्डा ने राज्य में ”मुख्यमंत्री जीवन आशा योजना आरम्भ करने का आदेश दिया है। इस संबंध में आगामी मंत्रीमण्डल की बैठक में प्रस्ताव उपस्थापित करने का निदेश दिया है। इस कार्यक्रम का उदेश्य है कि अतिकुपोषित बच्चों को समुदाय स्तर पर चिकित्सीय आहार द्वारा पोषण की सिथति में सुधार लाना, अतिकुपोषित बच्चों की सही समय पर पहचान एवं सिथति अनुरूप सेवाएं प्रदान करना तथा जन समुदाय स्तर पर कुपोषण तथा इसके निवारण हेतु समुदाय को जागरूक करना।

समाज कल्याण ,महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से ”मुख्यमंत्री जीवन आशा योजना कार्यक्रम के लिए वित्तीय वर्ष 2012-13 में 6389.50 तिरसठ करोड़ नवासी लाख पचास हजार रूपये द्ध की स्वीकृति दी है। प्रस्ताव पर योजना प्रतिनीधि समिति की स्वकृति प्राप्त की जा चुकी है। ”मुख्यमंत्री जीवन आशा योजना के तहत अति गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की पहचान कर इन बच्चों को समुदाय स्तर पर चिकित्सा, पोषण एवं विभिन्न वर्गों समुदाय के आवश्यक प्रशिक्षण करायी जाएगी। इस योजना से बच्चों की मृत्यु दर को घटाया जा सकेगा तथा झारखंड से कुपोषण को दूर किया जायेगा। इस योजना के अंतर्गत प्रथम चरण में राज्य के सभी जिलों में अति गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की पहचान की जायेगी। इन चिनिहत बच्चों में से कुछ ऐसे बच्चे होंगे, जिन्हें तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता है, उन्हें निकटतम MTC/MTEC में भर्ती कराकर उपचार की व्यवस्था की जाएगी, शेष बच्चों की समुदाय आधार पर ही उपचार की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही बच्चे कुपोषित नहीं हो इसके संबंध में समुदाय के बीच जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। अतिकुपोषित बच्चों को समुदाय स्तर पर चिकित्सीय आहार द्वारा पोषण की सिथति में सुधार लाना भी इस योजना के उदेश्यों में शामिल है।

योजना के उददेश्यों को पूरा करने हेतु वृहत कार्य-योजना तैयार की गर्इ है। राज्य स्तर पर इस योजना की शुरूआत करने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारी, विकास कार्य करने वाली संस्थाएं, शिक्षण संस्थाएं शामिल होंगी। इस कार्यशाला में कुपोषण को संबोधित करने वाले साक्ष्यों को दिखलाना, योजना की सोंच, पहुंच तथा इसके अपेक्षित परिणामों को दर्शाये जाएंगे।

बच्चों में कुपोषण की परिसिथति की अधतन सिथति जानने हेतु पोषण की सिथति पर एक राज्य स्तरीय सर्वे की अत्यधिक आवश्यकता के मíेनजर ।Agency का चयन निविदा Expression of  interest  के आधार पर किया जायेगा। कुपोषण से बचाव हेतु विभिन्न प्रशिक्षणों को शामिल किया जाएगा, जो केवल ग्राम स्तरीय कार्यकत्र्ताओं के प्रषिक्षण तक ही समिति नहीं होगा, बलिक समुदाय स्तर पर भी इसका लाभ मिलेगा। सामुदायिक स्तर पर समेकित नवजात शिशु के बीमारियों के प्रबंधन पर क्षमता विकास ”मुख्यमंत्री जीवन आशा योजना का एक एकीकृत भाग है, जिसमें सभी आंैगनबाड़ी सेविका मुख्य रूप से दक्ष होंगी जो कुपोषित या बीमार बच्चे की पहचान एवं उसके प्रबंधन हेतु अति आवश्यक है। इसे प्रशिक्षित प्रशिक्षक के समूह के द्वारा पूरे राज्य भर में लागू किया जाएगा। यह प्रशिक्षक प्रत्यक्ष रूप से सेविका एवं सहिया को आवश्यक मार्गदर्शन देंगे। इन प्रशिक्षित प्रशिक्षकों के समूह को राज्य स्तर पर सामुदायिक आधारित अतिगम्भीर कुपोषण प्रबंधन पर प्रशिक्षित किया जाएगा। इस कार्य हेतु औगनबाड़ी सेविका की तरह सहिया को पोषण मित्र के रूप में प्रचारित कया जाएगा।

इस योजना के तहत अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान हेतु औगनबाड़ी सेविका, ए.एन.एम के क्षमता विकास को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के 38432 औगनबाड़ी सेविका एवं 5000 ए.एन.एम को समुदाय स्तर पर अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान तथा प्रबंधन हेतु के लिए प्रशिक्षित करेगा। इसके लिए स्वास्थय विभाग से सहयोग लिया जायेगा। संचार प्रचार को लगातार बनाए रखने के लिए आंगनबाड़ी प्रशिक्षण केन्द्र तथा ए0एन0एम0 प्रशिक्षण केन्द्र जैसी संस्थाओं का कुपोषण प्रबंधन हेतु क्षमता विकास की आवश्यकता है।

”मुख्यमंत्री जीवन आशा योजना के अन्तर्गत पंचायत प्रतिनिधियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यानगत रखते हुए उनकी भागीदारी सुनिशिचत करने हेतु कर्इ स्तर पर उनका प्रशिक्षण की योजना है। इन प्रतिनिधियों का उन्मुखीकरण प्रत्येक स्तर पर होगा, जिसकी शुरूआत राज्य स्तर से होगी, फिर जिला, प्रखंड, संकुल एवं पंचायत स्तर तक। इस प्रक्रिया के तहत लगभग 40000 पंचायत प्रतिनिधि विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षित होंगे।

इस योजना की सफलता में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका हेतु मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा ताकि आमजनों के बीच जागरूकता फैलाने में मीडिया अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। जनजागरूकता के क्रम में संचार के विभिन्न माध्यमों का प्रयोग किया जाएगा। बैनर, होडिंग्स, रेडियो, टी0वी0, दिवाल लेखन, नुक्कड़ नाटक इत्यादि का प्रयोग किया जाएगा।

इस योजना के तहत कुपोषित बच्चे के उपचार होने एंव वहाँ से विरमित होने के बाद उनका मजबूती से फालोअप किया जाएगा ताकि वे पुन: पुरानी सिथति में न आने पाए।

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