महामहिम राज्यपाल डा0 सैयद अहमद ने कहा है झारखण्ड राज्य की संस्कृति एवं इतिहास अत्यधिक प्राचीन एवं समृद्ध है, जरूरत इस बात की है कि इस संस्कृति को कैसे उजागर किया जाय ताकि हमारे युवा उसे जान सकें। महामहिम राज्यपाल आज राजभवन में पुरातातिवकविद डा0 हरेन्द्र प्रसाद सिंह द्वारा तैयार An Archeslogical Journey, Researches in Jharkhand का अवलोकन कर रहे थे। इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल के प्रधान सचिव श्री आदित्य स्वरूप, कार्मिक सचिव श्री एन0एन0 सिन्हा, राँची वि0वि0 के कुलपति डा0 एल0एन0 भगत, प्रतिकुलपति प्रो0 वी0पी0 शरण, इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डा0 आर्इ0के0 चौधरी सहित कर्इ बुद्धिजीवी उपसिथत थे।
महामहिम राज्यपाल को यह जानकर हैरानी हुर्इ कि राज्य के विष्वविधालयों में प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विषय की पढ़ार्इ नहीं होती है। उन्होंने राँची वि0वि0 के कुलपति को निदेष दिया कि इस संबंध में पहल की जाय एवं स्वीकृति हेतु एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजी जाय। महामहिम ने कहा कि झारखण्ड राज्य से संबंधित पुरातातिवक महत्व की जो वस्तुयें पटना म्यूजियम में है, उन्हें झारखण्ड राज्य में वापस लाने का प्रयास भी संबंधित विभाग करें। महामहिम ने लोगों से अपील की कि अपने-अपने क्षेत्रों के पुरातातिवक महŸव के स्थलों, भवनों को सामने लाने हेतु पहल करें एवं उसकी सूचना भी दें। महामहिम राज्यपाल ने कहा कि राज्य के पुरातातिवक महत्व के स्थलों, भवनों को विषेष संरक्षण की आवष्यकŸाा है।
इस अवसर पर कार्मिक सचिव श्री एन0एन0 सिन्हा ने कहा कि पुरातातिवक महŸव के स्थलों, भवनों का जमीनी स्तर पर सर्वे कर उसका अभिलेखीकरण होनी चाहिये।
इस अवसर पर डा0 सिंह ने सतगामा, नवरत्नगढ़, पिठौरिया, बौद्ध स्तूप, गोला, राजमहल का हदफ मसिजद, पदमा किला, पलामू गेट, पलामू किला, गिरिडीह के विरनी गाँव से प्राप्त वस्तुओं, खुखरागढ़ इत्यादि स्थानों के पुरातातिवक महŸव एवं इसके इतिहास पर प्रकाष डाला।