मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुण्डा ने सूबे की पंचायती राज संस्थाओं के सशकितकरण को आने वाले पीढि़यों के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि जिला परिषदों को समेकित रूप से अपने जिले की योजनाओं को इस प्रकार से लेना चाहिए कि अगले पाँच साल के बाद किसी जरूरतमंद को इनिदरा आवास इकार्इ जैसी योजनाओं की जरूरत नहीं महसूस हो। इसके लिए जिला परिषदों को अगले 10 साल का रोड मैप तैयार करना होगा। साथ ही हरेक गाँव के लिए डाटा बेस तैयार करते हुए विकास का माडल तय करना होगा। उन्होेंने कहा कि समस्याओं को दरकिनार कर चलने की प्रवृति से निजात पाना जरूरी है, साथ ही जन-प्रतिनिधियों को चाहिए कि माइक्रो प्लांनिग से हरेक आदमी को जोड़े ताकि विकास योजनाओं का फायदा सबको मिले। मुख्यमंत्री आज प्रोजेक्ट भवन सिथत अपने कार्यालय कक्ष में जिला परिषद, पलामू की अध्यक्ष श्रीमती अनीता देवी एवं उपाध्यक्ष श्री बिनोद कुमार सिंह के नेतृत्व में आए 19 सदस्ययीय प्रतिनिधिमण्डल से वार्ता कर रहे थे। इस शिष्टमंडल में पलामू के जिला पार्षद एवं प्रखण्ड प्रमुख शामिल थे।
मुख्यमंत्री श्री अजर्ुन मुण्डा ने राज्य के विकास में पंचायती राज संस्थाओं की सहभागिता पर चर्चा करते हुए कहा कि पंचायती राज संस्थाओं को ग्राम विकास, स्वावलम्बन तथा स्वायत्तता की दिशा में रोल माडल के रूप में कार्य करना है। इसके लिए प्रत्येक गाँव की मैपिंग कर परिसिथति के अनुकुल बेहतर योजनाओं को तय करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि योजनाओं को मांग आधारित होना चाहिए जिससे गाँव के लोग यह महसूस करें कि यह योजना उनकी है और उनके लिए है। योजनाओं के स्कीम पर आधारित होने से ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा मिलता है, और इससे लोगों की आकांक्षाएं एवं अपेक्षाएं प्रभावित होती हैं। इसके लिए पंचायत स्तर पर स्थानीय जरूरतों के मुताबिक अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन लक्ष्यों पर आधारित योजनाएं तय की जानी चाहिए। पंचायतों को Ñषि उत्पादन, नगदी फसल, बागवानी एवं सामाजिक वानिकी की वार्षिक योजना स्वयं तय करना चाहिए साथ ही स्थानीय स्तर पर माइक्रो प्लांनिग करते समय पर्यावरण एवं पारिसिथतिकी का भी ध्यान रखना होगा। जनप्रतिनिधियों की भी यह जिम्मेवारी बनती है कि वे जिला योजना को बैंक लिंकेज से जोड़ें ताकि आर्थिक आत्मनिर्भरता के नए आयाम विकसित हों। पंचायती राज संस्थाओं को यह ध्यान रखना होगा कि सरकारी पैसे से विकास के जो कार्यक्रम चलते हैं वह वोटेड एकाउन्ट से होता है, जिसके लिए प्रत्येक स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ-साथ समुचित लेखा रखा जाना है जिसका कभी भी अंकेक्षण किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायतों को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध श्रम-शकित, उपलब्ध संसाधन एवं ढांचागत सुविधाओं के साथ-साथ प्रत्येक परिवार की आर्थिक सामाजिक सिथति का डाटा बेस रखना होगा ताकि क्षेत्र विशेष की प्लानिंग में रेवन्यू एवं रिर्सोस जेनरेशन में पंचायती राज संस्थाओं की सशक्त एवं प्रभावी भूमिका हो। उन्होंने कहा कि जिला परिषदों को चाहिए कि वे जिला योजना समिति की कम से कम लगातार चार बैठकों में सिर्फ व्यवस्थागत विकास की प्रणाली पर बल दें एवं स्वयं को इस प्रकार से सशक्त करें कि जिला प्रशासन के लोग जिले की योजना के सम्बंध में जिला परिषद द्वारा किए गए आकलन का पे्रजेंटेशन प्रस्तुत करें। उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं के वित्तीय प्रबंधन पर बल देते हुए कहा कि पंचायती राज संस्थाएं संसाधनों के लिए राजस्व के श्रोत भी स्वयं तैयार करें। आर्थिक सुदृढि़करण के लिए प्रोडक्ट मैंनेजमेंट पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि पंचायतों को फंडिंग पैटर्न पर विचार करते हुए हरेक सेक्टर के लिए प्लानिंग का सिस्टम तैयार करना होगा। पंचायतों को गाँव के विकास का रोड मैप तैयार करने के लिए रूरल मैनेजमेंट के छात्रों का सहयोग लेते हुए अगले 5 वर्ष की प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए।
जिला परिषद पलामू के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को जिला योजना समिति पलामू की विगत 21.12.2011 एवं 09.07.2012 को हुर्इ बैठक की कार्यवाहियों एवं उन पर हुर्इ कार्रवार्इयों से अवगत कराते हुए इस संबंध में आ रही कठिनार्इयों से अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने उनकी समस्याओं को गम्भीरता से सुना तथा आवश्यक कार्रवार्इ हेतु संबंधित पदाधिकारियों को निदेश दिया। प्रतिनिधिमंडल के साथ श्री मनोज कुमार सिंह भी उपसिथत थे जिन्होंने वहाँ की समस्याओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।