व्यकितवादी दृषिटकोण हमेशा ही सामाजिक व्यवस्था पर प्रहार कर समस्या खड़ी करता है। व्यकित सामाजिक प्राणी हो कर भी सामाजिक नही रह जाता है। पूँजी को मात्र अर्थ के रूप में नही लेनी चाहिए। सामाजिक पूँजी, मानव पूँजी, ज्ञान पूँजी की वृद्धि पर भी सोंच विकसित करनी आवश्यक है। विशेष कर झारखण्ड में यह प्रभावी भूमिका निभाएगा।
मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुण्डा आज स्थानी होटल रेडिशन ब्लू में ”झारखण्ड कारपोरेट सोशल रिस्पोंसिबिलिटि-लीडिंग टू सस्टेंनेबुल इकोनामिक डेवलपमेंट विषयक कानक्लेव को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जहाँ शांति है, वहीं समृद्धि है। शिक्षित सामाज का निर्माण हम सभी का दायित्व है। विकास हेतु मानक का निर्धारण आवश्यक है। धन यदि राष्ट्र निर्माण के साथ जुड़ जाए तो वह आनन्द का माध्यम बनेगा। राष्ट्र निर्माण ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज कारपोरेट सामाजिक दायित्व के अवधारणा को नए दृषिटकोण के साथ समझने की आवश्यकता है। सी0एस0आर0 कोर्इ नर्इ सामाजिक आर्थिक अवधारणा नही है। हमारे सांस्Ñतिक आर्थिक उत्थान के पीछे संवितरण, सहभागिता का भाव इसी का धोतक है। हमारी परम्परा में व्यकित, समाज ही नही अपितु राष्ट्र प्राÑतिक संसाधनो का कस्टोडियन मात्र था। उसे र्इश्वर प्रदत्त संसाधन माना जाता था और उसके उपयोग में ”अपरिग्रह का भाव था। सी0एस0आर0 का चिंतन विकास से जुड़ा है। धन का उपार्जन समाज से होता है। अत: समाजोपयोगी कार्यों में उसका एक भाग लगाना चाहिए अर्थात समाज को वापस करना चाहिए। चूंकि सम्पूर्ण सामाजिक आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र में समाज का एक ‘आदमी है अत: इसके प्रति सामाजिक दायित्व अर्थात एकाउन्टेबिलिटि होनी चाहिए। यह मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशीलता को बताता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कारपोरेट सेक्टर को समाज और सरकार से विभिन्न प्रकार से बहुत कुछ संसाधन प्राप्त होता है। मूल्यांकन का विषय है कि हम क्या लौटाते हैं, कितना वापस करते हैं। केवल अच्छा कहे जाने के लिए कुछ अच्छा काम करना शायद सी0एस0आर0 नही है, बलिक समग्रता में विकास एवं स्वावलम्बन के चिंतन के साथ ‘बहुत लोंगों के लिए बहुत अच्छा करना समीचीन होगा। एक कम्पनी को आर्थिक, मानवीय और पारिवेशिक वास्तविकताओं को गहरार्इ से समझना होता है। यदि इसे हम झारखण्ड के संदर्भ में कहें तो प्राÑतिक संसाधन कोयला, आयरन इत्यादि जहाँ से निकाले गए वहाँ के लोगों के लिए आम जीवन कठिन एवं प्रदुषण से भरा है। इन क्षेत्रों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए। वहाँ के लोगों को अधिक से अधिक सहायता देकर उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने का प्रयास होना चाहिए। विकास का अवसर सभी को मिलनी चाहिए। उन क्षेत्रों के लोग इस लिए पीछे हैं क्योंकि उन्हें अवसर नही मिल सका है। हम आंशिक आर्थिक विकास के साथ सामाजिक विकास को जोड़ लेते हैं। प्रश्न है शिक्षा, स्वास्थ्य, सुपोषण, रोजगार, कौशल वृद्धि के लिए क्या कदम उठाए गए। कम से कम अपने उपयोग के लायक भी मानव संसाधन सृजित किए जाएं, इकोलाजी निर्मित की जाए, जन सुविधाएं दी जाए, ढांचागत विकास किया जाए तो कुछ बात बने। बड़ी मात्रा में अपने अकुशल, अर्धकुशल को कुशल श्रम शकित बनाकर रोजगार-स्वरोजगार के लायक कैसे बनाया जाए यह चिंता का विषय है । सी0एस0आर0 सृजन के लिए समृद्धि के लिए हो।
कार्यक्रम में माननीय मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डा0 डी0के0तिवारी, निदेशक आर्इ0आर्इ0एम0 प्रो0 एम0जे0जेवियर, सी0सी0एल0 के प्रबंध निदेशक श्री गोपाल सिंह, सी0र्इ0ओ0 बोकारो स्टील प्लांट श्री अनुतोष मैत्रा समेत अनेक गणमान्य लोग उपसिथत थे।